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Childrens day This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

Childrens day

अतीत के कुछ खास लम्हों की यादगार को समेटे कैलेंडर, का लगभग हर दिन कुछ नया लेकर, हर साल, हमारे बीच आता है। कभी किसी की बर्थ एनिवर्सरी, तो कभी कोई त्योहार। लेकिन सिर्फ एक दिन के जश्न तक सिमटते इन खास पलों, के यथार्थ कहीं गुम तो नहीं। अक्सर जब भी घर से बाहर निकलते, दिखते थे बिना चप्पल सड़कों को नापते नंगे पांव, बड़ी-बड़ी गाडि़यों में बैठे लोगों से गुजारिश करती आंखें, जो सिर्फ थोड़ी कमाई की चाहत में अपनी गर्दिश से सवालात किया करती थीं। देखकर ताज्जुब होता था उन नन्हीं जिंदगियों को, जो बहुत छोटी ख्वाहिशें लेकर सिर्फ जिंदा रहने की होड़ में दौड़ रही थीं। आज भी सड़कों पर वही चहलकदमी, कहीं भीख मांगते नन्हें हाथ, तो कहीं किसी गरीब मां-बाप के साथ सामान बेचते बच्चे। लेकिन आज का दिन बच्चों के लिए बहुत खास था, पर शायद उन मासूमों के लिए नहीं। स्कूल या फिर यूं कहें कि एक सभ्य समाज, आज चिल्ड्रन डे मना रहा हैं, लेकिन जिंदगी की दौड़ में पीछे छूट चुके कुछ बदनसीब एक-दूसरे को मानों पूछ रहे हों कि आखिर यह चाचा नेहरू कौन हैं। आज 14 नवंबर है। वो दिन, जो बच्चों के राइट्स और एजुकेशन के लिए लोगों को अवेयर करने हेतु पूरे भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की 133वीं जयंती है, जिन्हें बच्चे प्यार से "चाचा नेहरू" बुलाते हैं। यह वो शख्सियत हैं, जिन्होंने बच्चों को शिक्षा देने की वकालत की थी, उनका मानना था कि बच्चे ही किसी देश की असली ताकत और समाज की नींव हैं।

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हर साल की तरह, आज भी बाल दिवस का जश्न फिर लौटा है, कहीं स्कूलों में फेंसी ड्रेस कॉम्पिटिशन में कुर्ता, पायजामा, टोपी और जेब में लाल गुलाब लिए खुश नन्हें बच्चे, तो कहीं अपने बच्चों के साथ मां-बाप सोसाइटीज के फंक्शन अटेंड करते नजर आ रहे हैं। लेकिन बच्चों की बिरादरी का एक मायूस तबका आज भी, या तो बिजी था अपनी रोजी़-रोटी जोड़ने में, या फिर मजबूरी का बोझ ढो रहा था, मानों किसी दूसरी दुनिया के हों ये बच्चे। क्या, हर दूसरे स्पेशल दिनों की तरह चिल्ड्रन-डे भी सिर्फ एक दिन के जश्न तक सिमट गया है। शायद आपको पता हो कि भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा टीनएजर्स हैं और देश में हर पांचवां व्यक्ति 10 से 19 साल की उम्र के बीच है। भारत में देश की कुल जनसंख्या का तकरीबन 39% बच्चे हैं। और इसमें से 29% बच्चे 0 से 6 साल की उम्र के हैं। चिंता की बात यह है कि हम ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 73 प्रतिशत बच्चों को, न तो हेल्थ फेसिलिटी दे पा रहे हैं, न ही एजुकेशन और सिक्योरिटी जैसी उनकी तमाम दूसरी जरूरतों को पूरा कर पा रहे हैं। यही वो प्यारा भारतवर्ष है, जहां आज भी बच्चों को मालन्यूट्रिशन, चाइल्ड लेबर, जबरन भीख मांगना और डायरिया जैसी कई बीमारियों का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है। हम आज भी अपने पास्ट को क्रिटिसाइज करने में इतना बिज़ी हैं, कि यह हमारे प्रेजेंट और फ्यूचर को इफेक्ट कर रहा है। पंडित नेहरू जी ने क्या सही किया, और क्या गलत किया, आज वो मायने नहीं रखता। सिचुएशन को देखते हुए सही डिसिजन लेने पड़ते हैं, उम्मीद है कि उन्होंने भी वही किया होगा। वो वक्त बीत चुका है, जिसे बदला नहीं जा सकता।

पंडित जवाहर लाल नेहरू जी 1930 और 1940 के दशक में भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रमुख नेता थे। जहां एक ओर उन्होंने 1950 के दशक के दौरान संसदीय लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, और विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया, वहीं बच्चों के कल्याण के लिए उनका योगदान और समर्पण हमेशा अतुलनीय रहेगा। ग्लोबल लेवल की अगर बात की जाए, तो 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस और 20 नवंबर को वर्ल्ड चिल्ड्रन डे मनाया जाता है। "आज के बच्चे कल का भारत बनाएंगे। जिस तरह से हम उन्हें लाएंगे, वही देश का भविष्य तय करेगा।" यह पंडित नेहरू जी का सिर्फ एक डायलोग नहीं था, यही सच्चाई है कि- आज ही, कल की दिशा तय करेंगे। बच्चों के प्रति केयर, प्यार और स्नेह दिखाने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की जयंती पर आइए निराश्रित बच्चों के लिए एक सही माहौल बनाकर नेहरू जी को एक सच्ची श्रद्धांजली दें। द रेवोल्यूशन देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से आप सभी को बाल दिवस और पंडित जवाहरलाल नेहरू जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। याद रखिए, 14 नवंबर सिर्फ एक तारीख नहीं है, बच्चों को उपहार, खिलौने, मिठाइयाँ बांटने और इवेंट्स तक न सिमट कर, आइए उन मासूम जिंदगियों के लिए कुछ खास करें, जिनके लिए ये खास दिन मनाया जा रहा है और जो बिना कुछ कहे अक्सर एक उम्मीद से आपको निहारते हैं। आइए इन चेहरों मासूमियत को बरकरार रखते हुए इन नन्हीं कलिओं को संवारें जो भविष्य में फूल बनकर हमारे समाज को सुगंधित करेंगी।